टोयोटा मोटर्स का अपनी जापानी परिवार के साथ रिश्ता जबकि सुखी रहा है वहीं इस साल दो बार उत्पादन में बंदी होने के कारण ये रिश्ता खतरे में पड़ता नज़र आ रहा है।
टोयोटा मोटर्स का अपनी जापानी परिवार के साथ रिश्ता जबकि सुखी रहा है वहीं इस साल दो बार उत्पादन में बंदी होने के कारण ये रिश्ता खतरे में पड़ता नज़र आ रहा है। जापान में आई भूकम्प के तबाही के बाद से कार निर्माता कंपनी को अपना उत्पादन बंद करना पड़ा।
फ़रवरी में आग लगने के कारण ये दूसरी दफा है जब टोयोटा के इन सहयोगी कंपनियों में से एक में काम ठप्प किया गया है। टोयोटा का मानना है की कुछ ही दिनों में इन सहयोगियों में काम दोबारा शुरू हो जाएगा। लेकिन इन दोनों घटनाओं के बाद से इन कंपनियों के साथ का नाज़ुक रिश्ता उभर कर आया है।
सीएलएसए के विश्लेषक क्रिस्टोफर रिक्टर का कहना है, ज़्यादा माल रखने का खर्चा, जब तक ये आपदाएं टल न जाती है इस विपदा क्षति को संतुलन में रखती है। उनका कहना है कि “उसी समय” माल लाने की पद्धति सालों से चली आ रही है और यह एक काफी लम्बी प्रक्रिया है जिसे वे बदलना नहीं चाहते है।
टोयोटा को हर साल 3 मिलियन गाड़ियों का उत्पादन करना पड़ता है ताकि उनकी सारी इकाईयां और आपूर्ति आसानी से हो सके। उनका कहना है की अगर उन्होंने जापान से संचालन छीन के बाहर के किसी जगह स्थापित किया तो वे घरेलु उत्पाद की विशेषता खो देंगे। उन्होंने अपनी आपूर्तिकर्ताओं को नए ग्राहकों की खोज करने को कहा है ताकि वे किरेत्सु पैर ज़्यादा भरोसा न करे।
एसीन कंपनी टोयोटा को ही नहीं बल्कि वॉक्सवैगन, ऑडी और वॉल्वो जैसी गाड़ियों को भी पुर्जे का डिलीवरी करती है। तो अगर इस कंपनी को किसी प्राकृतिक विपदा का सामना करना पड़े तो इन सभी कंपनियों को उसकी कमी खलती है।
होंडा और निसान की भी पुर्जों का उत्पादन जापान में ही होता है लेकिन प्राकृतिक विपदा की वजह से उन्हें भी काफी उत्पादन दूसरे देशों में ले जाना पड़ा है। निसान के कार्यकर्ताओं का कहना है कि 2011 के बाद से उन्होंने इन विपदाओं से लड़ने के लिए काफी सारी योजनाएं बनायीं है और इससे उन्हें काफी मदद भी मिल रही है।