भारतीय ऑटोमोबाइल बाजार दुनिया में चौथी सबसे बड़ी बाजार बन गई है। भारत हाल ही में जर्मनी को पीछे छोड़कर विश्व स्तर पर शीर्ष 4 ऑटो बाजारों की सूची में शामिल हो गई है। भारतीय ऑटो उद्योग में 4.02 मिलियन यूनिट्स की बिक्री हुई है और इसलिए, इसमें पिछले एक साल में 9 .5% तक की वृद्धि हुई है।
ऑटोमोबाइल की बिक्री में बढ़ोतरी के कारण पिछले कुछ सालों में भारतीय ऑटो इंडस्ट्री में बिक्री विक्रय के मामले में वृद्धि हुई है। इंडिया, जो कि एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, 9 .5% की विकास दर के साथ दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रही प्रमुख ऑटोमोबाइल बाजार है।
इसकी तुलना में, जर्मन कार बाजार, जो कि अब पांचवें स्थान पर है, में केवल 2.8% की वृद्धि दर है। पिछले साल जर्मनी में 3.8 मिलियन वाहन बेचे गए थे। जापानी कार बाजार, जो कि वर्तमान में तीसरे स्थान पर है, ने 5.24% की वृद्धि दर हासिल की है। 2016 में जापान में 5.4 मिलियन वाहन बेचे गए थे।
एक और दिलचस्प बात यह है कि भारत और ब्राजील समान गति से विकसित हुई हैं। भारतीय कार बाजार के विकास में कई कारकों ने भूमिका निभाई है। कई नई कंपनियां पिछले कुछ सालों में भारत आए हैं, जिससे उपभोक्ता को कई विकल्प मिले हैं।
इसके अलावा, भारत में प्रति व्यक्ति आय में लगातार सुधार देखा गया है, जिससे कई लोग को वाहन को घर लाने का मौका मिला हैं। आसान वित्त विकल्प से संभावित खरीदारों के लिए एक नया वाहन खरीदना आसान बन जाता है। एक और मह्त्वपूर्ण पहलू सुधार सड़क नेटवर्क भी है।
भारत के कार बाजार में सबसे बड़ी खिलाड़ी मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड रहि है, जिसने लगभग 50% बाजार हिस्सेदारी हासिल की है। भारत, सुजुकी के लिए सबसे बड़ी ऑटोमोबाइल मार्केट है, दोनों चार पहिया वाहन और दो पहिया वाहनों के मामले में। यहां तक कि ह्युंडई, टाटा, महिंद्रा और फोर्ड जैसी अन्य कंपनियाँ भी पहले की तुलना में बेहतर व्यापार कर रही है।
रेसेल्स मार्केट में भी अच्छी दर से वृद्धि हुई है। आंकड़े बताते हैं कि भारत में यूस्ड कार बाजार, नई कार बाजार की कम से कम 2.5 गुना है, जिससे पता चलता है कि लोग बड़ी संख्या में इस्तेमाल किए हुए वाहन खरीदना पसंद करते हैं। इस दर पर, भारत के जल्द ही दुनिया के शीर्ष 3 कार बाजारों में से एक बन जाने की संभावना है।