भारत में हाइब्रिड कारों की बिक्री नए टैक्स संरचना के तहत टैक्स की उच्च दर से बुरी तरह प्रभावित हुई है। इन वाहनों पर 28% से अधिक जीएसटी और 15% से अधिक सैस लगते हैं और कुल कर 43% हो जाता हैं। पिछले साल की तुलना में इस साल जुलाई-सितंबर की अवधि में ऐसे उच्च दर के कारण हाइब्रिड वाहनों की बिक्री में काफी गिरावट आई है।
मारुति सुजुकी सियाज़ की हाइब्रिड संस्करण ने जुलाई-सितंबर की अवधि में सेडान की कुल बिक्री में 32% का शेयर था, जबकि पिछले साल इसी अवधि में 70% शेयर था। जीएसटी के कारण मारुति अर्टिगा एसएचवीएस की बिक्री में भी 20% की गिरावट आई है। सितंबर की तिमाही में टोयोटा ने केमरी हाइब्रिड की केवल 87 इकाइयां बेचीं, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में 323 इकाइयां बेची गई थीं, और इसमें भी 73% की गिरावट आई थी।
भारत सरकार 2030 तक देश भर में शून्य उत्सर्जन विद्युत गतिशीलता के कार्यान्वयन का समर्थन कर रही है। हालांकि कई कंपनियां, जो की भारत में हाइब्रिड वाहन बेचती हैं, ने सरकार से कहा है कि पारंपरिक आंतरिक कम्बशन इंजन और विद्युत पावरट्रेन के बीच के अंतर को कम करने के लिए हाइब्रिड पावरट्रेन का इस्तेमाल किया जाए। लेकिन सरकार ने उस पर ध्यान नहीं दिया। इसलिए, विद्युत वाहन पर केवल 12% जीएसटी लगता हैं।
भारत में, कई कंपनियां हाइब्रिड और प्लग-इन हाइब्रिड मॉडल बेचते हैं। इन ब्रांडों में मारुति सुजुकी, महिंद्रा, टोयोटा और होंडा शामिल हैं। दूसरी ओर, केवल महिंद्रा यहां पियोर ईवीएस बेचती है। जीएसटी के प्रभाव के कारण, कई कंपनियां ने कहा की वे देश में नए हाइब्रिड मॉडल लॉन्च नहीं करेंगे।
जबकि हाइब्रिड वाहन अनमोल ईंधन बचाकर, सीओ 2 के उत्सर्जन को कम करते हैं, और पैसे भी बचाते हैं। दूसरी ओर, इस देश में पियोर विद्युत गतिशीलता की सबसे बड़ी बाधा, बुनियादी ढांचे की कमी है। हालांकि, पारंपरिक पावरट्रेन और पूरी तरह से विद्युत पावरट्रेन के बीच की दुरी को कम करने के बजाय सरकार पियोर विद्युत गतिशीलता पर जोर दे रही है।