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भारत की पहली महिला ट्रक मैकेनिक शांति देवी

by Rachna Jha
महिला ट्रक मैकेनिक शांति देवी

हम आपको भारत की पहली महिला ट्रक मैकेनिक अर्थात शांति देवी से परिचित करवाने जा रहे हैं। जोकि नारी शक्ति की उस क्षेत्र में उदाहरण बनकर सामने आई हैं; जहां सिर्फ पुरुष वर्ग का वर्चस्व होता है। तो चलिए, विस्तार से आपको जानकारी दें:-

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शुरुआत:-

दिल्ली की शांति देवी जो कि अभी 55 वर्ष की हैं। उन्होंने ट्रक मैकेनिक बनने की शुरुआत खुद के घर से की। यह ट्रेनिंग उन्होंने अपने पति से लेना आज से लगभग 20 वर्ष पहले शुरू किया था। उन्होंने अपने पति से ट्रक से जुड़ी तकनीकी बारीकियों को ना सिर्फ सीखा; बल्कि उसे चरितार्थ (Implement) भी किया। आज वो प्रतिदिन 10 से 12 ट्रक टायरों को खोल कर ठीक कर लेती हैं। साथ ही, 50 किलोग्राम के ट्रक टायर को आसानी से उठा भी पाती हैं।

प्रेरणा:-

आज शांति देवी ना सिर्फ हर उम्र की महिलाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं; वहीं पूरे देश के लिए गौरव भी हैं। उन्हें विभिन्न संस्थानों में भी बुलाया जाता है। ताकि अन्य लोगों, खासकर युवा वर्ग के लिए वह प्रेरणा स्रोत बन सकें। यकीनन, हमारे देश में धैर्य, लगन व हिम्मत से भरी हुई महिलाओं की कमी नहीं है।

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संघर्ष:-

एक ट्रक मैकेनिक बनना, वह भी एक महिला का; वास्तव में एक बड़ी चुनौती का विषय है। पर शांति देवी जो कि दिल्ली के नेशनल हाईवे -4 के निकट, संजय गांधी नगर ट्रांसपोर्ट डिपो, (आजादपुर मंडी ) में 20 वर्षों से ट्रक के पंक्चरों को ठीक करने का काम करती आ रही है। वह भी ट्रक के टायरों के पंक्चर को वह मिनटों में ठीक कर देती हैं। जिसे देखकर लोग हैरान रह जाते हैं। यह जज़्बा नारी शक्ति के अलग पहचान को दर्शाता है।

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शांति देवी

हौसला:-

यदि हौसले बुलंद हों, तो इंसान कठिन से कठिन काम को आसानी से अंजाम दे सकता है। इसकी जीती -जागती मिसाल दिल्ली की, यह 55 वर्षीय महिला शांति देवी हैं। जिन्होंने अपने जीवन के शुरुआती संघर्ष के दिनों में चाय बेचकर भी गुजारा किया था। पर, आत्मविश्वास, धैर्य व लगन से भरी इस महिला ने देश और समाज के लिए एक अलग ही मिसाल कायम की है।

जाहिर है कि ऐसी महिलाओं पर हमें गर्व होना चाहिए।