इस साल की शुरुआत में, टाटा ने रेसमो स्पोर्ट्स कार को पेश किया, पहली कार जिसे टामो ब्रांड के तहत बनाया जाना था। टाटा कम मात्रा की कारों को बनाने के लिए उस ब्रांड के साथ आई थी, ताकि इन्हें जल्दी से बनाया जा सके।
पिछले महीने यह खबर थी कि टाटा मोटर्स ने रेसमो को लाने की योजना को रद करने का फैसला किया है। इसके पीछे मुख्य कारण यह था कि वे अपने वाणिज्यिक वाहन (सीवी) व्यवसाय पर ध्यान केंद्रित करना चाहते थे। रेसमो के लिए आवश्यक निवेश लागत 2500 करोड़ थी, जो की कंपनी इस परियोजना पर खर्च नहीं करना चाहती थी।
श्री गेन्टर बुत्शेक को यह कहना था:
टामो एक अच्छी-खासी परियोजनाओं में से एक है। हम उस चरण पर पहुंच गए हैं जहां हम इसे आसानी से लॉन्च कर सकते हैं, लेकिन इस समय हम कर नहीं सकते है। जब भी समय, प्राथमिकताएँ और धन अनुमति देंगे, हम इसे वापस ले आएंगे।
रेसमो, भारत में बिक्री पर टाटा की पहली स्पोर्ट्स कार होनी थी। यह 1.2 लीटर टर्बो पेट्रोल इंजन द्वारा संचालित होती, जो की 186 बीएचपी की पावर और 260 एनएम की टॉर्क का उत्पादन करता है। इसमें एएमटी होना था।
यह नई एमएमएस संरचना (मल्टी मैटिक सैंडविच) पर बनाई गई थी और यह कैटरहैम जैसी किट कार थी। इसका मतलब था कि डीलर वाहन को संकलित कर सकते हैं और उन्हें ग्राहकों को सप्लाई कर सकते थे। यह मध्य इंजन था, जिससे यह टाटा की पहली मध्य इंजन वाली वाहन बनती।
अन्य प्रमुख विशेषताओं में माइक्रोसॉफ्ट के साथ टाई-अप शामिल है, जिससे वाहन को कनेक्टिड कार बना दिया जा सकता है। यह क्लाउड कंप्यूटिंग, एनालिटिक्स, भू-स्थानिक और मैपिंग द्वारा संचालित होने वाली पहली वाहन होनी थी। इससे इंसान और मशीन इंटरैक्शन में वृद्धि होती।
टाटा को अपने नए विकसित एएमपी के उपयोग के लिए वीडब्ल्यू समूह के साथ सहयोग करना था, जिसने नए प्लेटफ़ॉर्म की लागत को प्रभावी रखने के लिए टाटा को संख्या प्राप्त करने में मदद होती। हालांकि, यह संभव नहीं हो पाया।